तन्हाई में जी रहे हैं हम, क्या जाने औरों का हाल क्या होगा। सपने टूटने के बाद हमको, अब उम्मीद से भी डर लगने लगा है।

दर्द छुपाने की हम सजा काट रहे हैं, सपने तो टूटे थे पर फिर भी जी रहे हैं। कभी ख़ुश थे अपने जख्मों को देखकर, लेकिन अब खुद को ही समझा रहे हैं।

दिल की गहराईयों में दर्द समेटे बैठे हैं, यहाँ तक कि मुस्कान के पीछे भी आंसू छुपाए बैठे हैं।

इंसानियत से ज्यादा खुद से धोखा मिलता है, यही सच्चाई है जो हर दिल में छुपा रहता है।

कोई अपनी हकीकत नहीं दिखाता, सब अपने दुखों को छुपाकर मुस्कुराता है।

मैं अकेला ही सही, पर अपनी राहों पर खड़ा हूं, तुमसे मिलने की कोई उम्मीद अब नहीं रखता हूं।

कभी किसी से उम्मीदें थी, अब खुद से उम्मीदें हैं, साथ चलने वाले अब मेरे रास्ते पर नहीं हैं।

जिंदगी की सच्चाई यही है, जो हम चाहें वो कभी नहीं मिलता।

ज़िन्दगी की राहों में कभी अकेले चलो, कभी लोगों की उम्मीदों से भी दूर रहो।

मेरा दिल कभी दूसरों का साथ चाहता था, लेकिन अब मैंने खुद को ही अपनाया है।